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Thursday, May 7, 2009

For a friend.....

बिखरे मोतियों को समेटना कोई आप से सीखे ,
नम आंखों से मुस्कुराना कोई आप से सीखे,
हमारी दिल की आरजू ये लिख बैठी,
प्यार क्या, दोस्ती निभाना भी कोई आप से सीखे...

1 comments:

रावेंद्रकुमार रवि said...

नम आँखों की मुस्कुराहट में छुपी होती है एक अनूठी आशा!